परिचय

इस कायनात में भटकती हुई एक जिंदगी ..... जो हर दिन किसी नई जिंदगी की तलाश करती हो ..... वो हूँ मैं .... नाम वलिदों का दिया हुआ उत्पल (Lotus) कान्त मिश्र ..... उत्पल को तो कीचर में ही खिलना पड़ता है ... सो आज तलक कीचर की ख़ाक छान रहे हैं इस उम्मीद में की सहर को हम शायद इसी की तरह ही जुदा हों इस हयूले से ..... पैदाइश ... हिन्दुस्तान के बिहार के पटना शहर में हुई ...... तालीम जिसे आम तौर पर कहते हैं उस लहजे से खाकसार नें MA (Economics); MBA (Marketing); Jyotish Visharad कर लिया और गुजिस्ता कुछ सालों से गम - ऐ - रोजगार की खातिर कई शहरों को अपना ठिकाना बनाता रहा हूँ ....मार्केटिंग का काम है तो कई जगहों पर घूमा और कई किस्म के इंसानों से रु - ब - रु हुआ ..... जिंदगी को करीब से देखा तो लगा कि मैं सचमुच ही "नादां" हूँ ..... और रख लिया अपना तखल्लुस "नादां".....सच कहूं तो बाकी तो कहनें सुननें की बातें हैं .... मेरी सच्ची तालीम तो जिंदगी ने दी है ..... मेरी जिन्दगी के गुजरे हुए हर लम्हे ही मेरे उस्ताद बने ... आम तालीम के अलावा बन्दे में para psychology और Indian Philosophy का भी भूत समाया हुआ है .... सो जहाँ तहां जब तब इन्हें भी पढता रहता हूँ उम्र के इस पड़ाव पे बाद अपनी लिखी एक ग़ज़ल का एक शेर याद आता है ..... 
कभी गम पे हसेंगे ये सोच कर जिए
जीते - जीते जीने की अदा आयी !!
मुंबई, महाराष्ट्र, India